समाज कल्याण विभाग और यूनिसेफ़ करेगा बाल दरबार का आयोजन। पटना, आनंद मिश्रा।संयुक्त राष्ट बाल अधिकार समझौते एवं राष्ट्रीय बाल नीति के मुताबिक़ बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को भागीदारी का अधिकार है। सरकार द्वारा स्कूलों व बाल गृहों में बाल संसद, किशोरी समूह, बाल सभा आदि के साथ साथ नेहरु युवा केंद्र संगठन और पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत वार्ड, ब्लॉक एवं ज़िला स्तर पर स्थापित समितियों में बच्चों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान किया गया है, जिन्हें और मज़बूत किए जाने की आवश्यकता है. इससे बच्चे एवं किशोर-किशोरियों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित करने वाले मुद्दों पर उनकी राय को अधिकारी वर्ग एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा न सिर्फ़ गंभीरता से सुना जा सकेगा बल्कि उनकर उचित कार्रवाई भी सुनिश्चित हो सकेगी।
इसी कड़ी में ज़िला स्तर पर समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार एवं यूनिसेफ़ द्वारा ‘बाल दरबार, हमारा दरबार’ नामक पहल शुरू की जा रही है। इसे बाल अधिकार सप्ताह (14 नवंबर से 20 नवंबर) के दौरान 29 ज़िलों में राज्य बाल संरक्षण समिति, समाज कल्याण विभाग, सेव द चिल्ड्रेन, ऐक्शन एड, प्रथम, उदयन केयर, सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन ऑल्टरनेटिव केयर की टीम के माध्यम से आयोजित किया जाएगा। इसमें राज्य के सभी 34 बाल/बालिका गृहों से भी बच्चे-बच्चियां इसमें शामिल होंगे
उक्त बातें यूनिसेफ़ बिहार की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने बाल दरबार परामर्शी प्रक्रिया को अमली जामा पहनाने में बाल गृह व सहयोगी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं के ऑनलाइन उन्मुखीकरण कार्यक्रम के दौरान कहीं।
तीन बैचों में लगभग 150 लोगों को ओरिएंट किया गया।
समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक आलोक रंजन ने कहा कि बाल दरबार के आयोजन के ज़रिए बच्चे-बच्चियों व किशोर-किशोरियों को एक प्रभावी मंच मुहैया करवाना है, जहां उन्हें अपने मुद्दों, समस्याओं और सरोकारों के बारे में ज़िला एवं राज्यस्तरीय जन प्रतिनिधियों व अधिकारियों से खुलकर संवाद करने का मौक़ा मिलेगा। संवाद के दौरान मिले बच्चों के सुझावों के आधार पर तैयार किए गए चार्टर ऑफ़ डिमांड्स को नीतिनिर्धारकों को सौंपा जाएगा जो बच्चों के बेहतर भविष्य हेतु और कारगर नीतियाँ बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।
बाल दरबार परामर्शी प्रक्रिया के तहत हर ज़िले में अलग-अलग सामाजिक समूहों से 14 से 19 वर्ष के 30-40 बच्चों व किशोर-किशोरियों द्वारा ज़िला मुख्यालय में स्वयं से जुड़े विभिन्न मुद्दों, योजनाओं एवं अपने सरोकारों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। फिर, इन्हीं में से ख़ुद बच्चों द्वारा चुने गए 7-8 बच्चों का दल हर ज़िले से प्राप्त सुझावों के आधार पर तैयार मांग पत्र को लेकर ज़िलाधिकारी से भेंट करेगा।
इसके पश्चात हर ज़िले से एक लड़का या लड़की राज्य स्तर पर 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस पर आयोजित होने वाले राज्य बाल दरबार में भाग लेंगे। बच्चों व किशोर-किशोरियों के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा सुझावों एवं मांगों का संकलित चार्टर समाज कल्याण विभाग एवं अन्य संबद्ध विभागों के मंत्री एवं अधिकारियों को सौंपा जाएगा।
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कोविड महामारी के दौरान बच्चों ने क्या खोया, क्या पाया और उनके लिए एक बेहतर दुनिया कैसे बने, इससे जुड़े सुझावों को भी चार्टर ऑफ़ डिमांड्स में शामिल किया जाएगा।निपुण गुप्ता ने कहा कि इस पहल से जहां बच्चों को अपनी बात रखने के लिए एक बड़ा प्लेटफ़ॉर्म मिलेगा, वहीं अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही भी बढ़ेगी।
ओरिएंटेशन के दौरान सेव द चिल्ड्रेन, ऐक्शन एड और प्रथम के ज़िला स्तरीय कर्मियों के अलावा बिहार यूथ फ़ॉर चाइल्ड राइट्स और किलकारी बाल भवन से जुड़े कुछ किशोर-किशोरियों ने भी भाग लिया।