पटना, संवाददाता। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने बिहार सरकार के इस बयान को चुनौती दी कि बिहार में पहले से गठित अतिपिछड़ा आयोग को विशेष आयोग का दर्जा मध्यप्रदेश की तर्ज पर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार अतिपिछड़ों को आरक्षण नहीं देना चाहते, इसलिए जानबूझ कर ऐसे फैसले कर रहे हैं, जिससे कानूनी पेंच फँसे और हाईकोर्ट को फिर निकाय चुनाव में हस्तक्षेप का मौका मिले।
श्री मोदी ने कहा कि निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 2 सितम्बर 2021 को नया आयोग गठित कर दिया था, जिसने पिछड़े वर्गों के आरक्षण और चुनाव संबंधी मामलों का अध्ययन कर रिपोर्ट दी। उन्होंने कहा कि अगर मध्यप्रदेश की तर्ज पर काम करने का दावा बिहार सरकार कर रही है, तो बिहार राज्य अतिपिछड़ा वर्ग आयोग ने निकाय चुनाव और आरक्षण संबंधी मामलों में अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की? मध्यप्रदेश के विशेष आयोग ने तो अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की और हाईकोर्ट को भी सौंपी ।
श्री मोदी ने कहा कि मध्यप्रदेश में पुरानी चुनाव प्रक्रिया को रद्द कर नये सिरे से निकाय चुनाव कराये गए, जबकि बिहार सरकार पुराने नामांकन पर ही चुनाव करा लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि जब मध्यप्रदेश में पिछड़ों को 35 फीसद आरक्षण दिया गया है, तब बिहार में इसे 20 फीसद ही क्यों रखा गया? भाजपा 50 फीसद की सीमा में अतिपिछड़ों का आरक्षण बढ़ाने के पक्ष में है। इसे भी पढ़ें –महागठबंधन जीतेगा कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव : राजीव रंजन प्रसाद
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के विशेष आयोग ने 82 सामाजिक संगठनों के ज्ञापन और 1000 से ज्यादा ईमेल पर प्राप्त सुझावों का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करने में पांच महीने लगाये, जबकि बिहार सरकार के अतिपिछड़ा वर्ग आयोग ने सामाजिक संगठनों और जनता से व्यापक संवाद स्थापित किये बिना जल्दबाजी में रिपोर्ट तैयार कर दी। इस रिपोर्ट को सरकार गोपनीय क्यों रखना चाहती है ?