-स्वतंत्रता दिवस विशेष पर मिलिए लिंग आधारित अपेक्षाओं से खुद को आज़ाद कर रही दो प्रेरणादायी लड़कियों से।
– मासिक धर्म, बाल विवाह, लैंगिक हिंसा और अन्य मुद्दों पर संवाद पहल कर रही हैं अन्नू कुमारी और पूजा सिंह।
पटना, संवाददाता। लैंगिक समानता के बीच आज भी कई वर्जनाएं वाधक हैं। समय समय पर विभिन्न संस्थाओं की रपट इसके प्रमाण हैं। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की तरफ से 12 जून 2023 को जारी ऐसी ही एक रिपोर्ट जेंडर सोशल नॉर्म्स इंडेक्स (जीएसएनआई) भारत में लैंगिक अधिकारों की स्थिति को लेकर कुछ परेशान करने वाले तथ्य सामने रखती हैं।
रिपोर्ट में पुरुष पार्टनर द्वारा की जा रही हिंसा और प्रजनन अधिकारों जैसे मामलों में एक महिला की फिजिकल इंटेग्रिटी के खिलाफ भारी सामूहिक पूर्वाग्रह का भी पता चलता है। आजादी के 76 साल बाद भी, भारत में 99 प्रतिशत से अधिक लोग महिलाओं और लड़कियों के प्रति कुछ न कुछ पूर्वाग्रह रखते हैं।
लगातार सामने आने वाली चुनौतियों और मुश्किलों के बावजूद समाज में ऐसे सकारात्मक लोग भी हैं जो अपने समुदायों में लैंगिक समानता की वकालत कर रहे हैं। इस स्वतंत्रता दिवस विशेष पर इस आलेख में हम दो ऐसी प्रेरणदायी लड़कियों के बारे में बता रहे हैं जो मासिक धर्म संबंधी स्वास्थ्य, बाल विवाह उन्मूलन, लिंग आधारित हिंसा और भेदभाव को लेकर बातचीत को आगे बढ़ाकर इस कहानी को बदलने की कोशिश में जुटी हैं। इससे संबंधित कई वर्जनाओं को इन्होंने तोड़ा है और इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित कर रही हैं।
लैंगिक समानता की लड़ाई रह रही है अन्नू कुमारी
बिहार के अमावां की रहने वाली अन्नू ने पुलिस कांस्टेबल बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए कम उम्र में शादी का निडरता से विरोध किया। किशोरी समूह से जुड़ने के बाद उनकी परिवर्तनकारी यात्रा शुरू हुई। किशोरी समूह एक ऐसा कार्यक्रम है, जो वंचित लड़कियों को पीरियड मैनेजमेंट, पोषण और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां देकर उन्हें सशक्त बनाता है। यहां उन्हें कम उम्र में होने वाली शादी के नुकसानदायक परिणामों के बारे में पता चला और उन्होंने अपने गांव में बाल विवाह को रोकने के लिए कदम उठाए। अपनी मेंटर और पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की ब्लॉक-कोर्डिनेटर शीला देवी के मार्गदर्शन में, उन्होंने शादी के ऊपर शिक्षा को प्राथमिकता दी। वर्तमान में वह बिहार पुलिस ट्रेनिंग एकेडमी से जुड़ गई हैं और युवा महिलाओं को उनकी सभी चुनौतियों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
पूजा सिंह
बाल विवाह के बाद पूजा सिंह ने की पढ़ाई
रजौली के मरमो गांव में रहने वाली 25 वर्षीय पूजा को बाल विवाह के लिए मजबूर किया गया, जिससे उनके सपने टूट गए। हालाँकि, मुश्किलों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने कभी उम्मीद नहीं खोई और पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया ने उन्हें नई जिंदगी दी। संस्था की मदद से उन्होंने 11वीं तक अपनी पढ़ाई पूरी की और अब महिलाओं के अधिकारों को लेकर अपने समुदाय की मानसिकता को बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। अब वो लैंगिक समानता को लेकर तमाम तरह की वर्जनाओं को तोड़ने के लिए समुदाय की कई अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणादायक साबित हो रही हैं।
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गौरतलब है कि पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया एक राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन (एनजीओ) है, जो लिंग संवेदनशील जनसंख्या, स्वास्थ्य और विकास रणनीतियों और नीतियों के प्रभावी निर्माण और कार्यान्वयन को बढ़ावा देता है और इसकी वकालत करता है।
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