पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) में चल रहे विवाद में कब कहां कौन किसके साथ मिल कर राज्य की बेहतरी के लिए कुछ प्रयास करें, यह कहना मुश्किल है, ताज़ा मामला है कि पूर्वी चंपारण जिला क्रिकेट संघ के सचिव ज्ञानेश्वर गौतम के पहल पर BCA के पूर्व सचिव रविशंकर प्रसाद सिंह और वर्तमान सचिव संजय कुमार के बीच एक गुप्त बैठक हुई है।
कई और पूर्व और वर्तमान क्रिकेट प्रशासकों का भी मिल रहा है सहयोग
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बैठक में बीसीए के विवादित अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के द्वारा किए जा रहे गैर कानूनी कार्यों पर लगाम लगाने की रणनीति पर चर्चा की गई।
मिल रही जानकारी के अनुसार बीसीसीआई की 16 अप्रैल को होने वाली शीर्ष परिषद की बैठक में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पर होने वाले दंडात्मक कार्रवाई से बिहार को बचाने के लिए रणनीति पर भी चर्चा की गई। सनद रहे कि हाल में संपन्न हुए बिहार क्रिकेट लीग को रोकने के लिए बीसीसीआई के सीईओ हेमांग अमीन के द्वारा दो ईमेल बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को दिया गया था, लेकिन बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के विवादित अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी और उनके गिरोह के लोगों ने बीसीसीआई के नोटिस और निर्देश की अवहेलना कर न केवल लीग की शुरुआत की बल्कि उसे पूरा भी किया। 23 मार्च को बीसीसीआई के द्वारा भेजे गए ईमेल में बिहार क्रिकेट लीग को गैर मान्यता प्राप्त लीग घोषित करते हुए, बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि आप इस लीग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाएं और उक्त लीग में भाग ले रहे खिलाड़ियों और स्पोर्ट स्टाफ को इस लीग के गैर मान्यता प्राप्त होने की जानकारी दें,
अन्यथा बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पर बीसीसीआई के संविधान की धारा 31 के आलोक में कारवाई की जाएगी।
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बीसीसीआई की संविधान की धारा 31 के मुताबिक किसी भी संघ के द्वारा बीसीसीआई की अनुमति के बिना आईपीएल की तर्ज पर लीग कराने पर उक्त राज्य संघ को मिलने वाली अनुदान की राशि पर रोक, खिलाड़ियों पर बैन सहित संघ की सदस्यता समाप्त करने जैसी कारवाई किए जाने का प्रावधान है। जहां तक बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का मामला है तो अध्यक्ष के अनेकानेक असंवैधानिक कार्यों के कारण, इस संघ को मिलने वाली अनुदान राशि पर बीसीसीआई ने पूर्व से हीं रोक लगा रखी है। चूंकि यह पूरा लीग अध्यक्ष के द्वारा व्यक्तिगत क्षमता से कुछ अवैध लोगों के साथ करवाया गया है, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के किसी भी सदस्य को इस लीग के आयोजन में भागीदार नहीं बनाया गया, यहां तक कि कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के सदस्यों को भी लीग की मान्यता के मामले में अध्यक्ष के द्वारा गुमराह किया गया।इन सभी विंदूओ पर चर्चा के अलावा यह भी विचार किया गया कि
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के विवादित अध्यक्ष के द्वारा क्षमा दान के लिए बीसीसीआई को भेजें गए ईमेल में उल्लेख किए गए कारण कि ” मेल को नहीं देखे जाने के कारण, इस लीग को नहीं रोका जा सका”
चर्चा करते हुए विचार व्यक्त किया गया कि इस कारण को बीसीसीआई बीसीए की अक्षमता और संघ की अयोग्यता के अलावा और कुछ नहीं मानेगा।
मेल नहीं देखे जाने का बहाना है या बीसीए को डुबाना है, इस पर यह भी चर्चा होने की खबर है कि जब मेल देख लिया और उसका जवाब भी दे दिया, फिर एक अप्रैल से फ्रेंचाइजी बेस टुर्नामेंट बशिष्ट नारायण सिंह मेमोरियल टी 20 के आयोजन का मतलब क्या होता है। इस टुर्नामेंट में प्रति फ्रेंचाइजी दो लाख रुपए से अधिक लिए जाने की खबर है।
मिल रही जानकारी के अनुसार अध्यक्ष को छोड़कर बीसीए के अधिकांश सदस्य बीसीए के विवादित अध्यक्ष को इस गैर मान्यता प्राप्त लीग के आयोजन और उससे बीसीए पर होने वाली कार्रवाई के लिए जिम्मेदार मानते हैं।
अपुष्ट सूत्रों की मानें तो इस लीग में सैकरों करोड़ की राशि की अवैध लेन देन की गई है।
इस बैठक का क्या परिणाम होता है, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन अगर बीसीए के कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के अन्य सदस्यों के द्वारा कुछ प्रयास किया जाता है, और बीसीसीआई के द्वारा बीसीए पर कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो यह बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के लिए एक सुखद समाचार होगा। वैसे इस प्रयास में कई पूर्व और वर्तमान प्रशासकों का समर्थन भी बीसीए सचिव को प्राप्त हो रहा है।