शिवकथा के अनुसार शिव ने कई अवतार धारण किये हैं। इनमें से ऋषि दुर्वाषा अवतार, गृहपति अवतार,शरभ अवतार और भिक्षुवर्य अवतार को आप Xposenow.com में पढ चुके हैं । शिव अवतार की इस कइी में जानिए शिव के हनुमान अवतार के बारे में।
जब महादेव ने लिया हनुमान रूप में अवतार । कलियुग में तारणहार देवताओं के लिए सर्वोत्तम भक्त और कलियुग में साक्षात भगवान के रुप में प्रचलित महापराक्रमी,महावली,अष्टसिद्धि और नवनिधि के ज्ञाता हनुमान भी शिवावतार ही थे। मान्यता के अनुसार शिव के 12 रूद्र अवतारों में हनुमान ग्यारहवें अवतार थे। शिवपुराण में शिव के विभिन्न अवतारों के चर्चा की गई है। भगवान शंकर कण कण में विराजमान हैं तो हनुमान के रूप में वे हर क्षण आनंदित करने वाले हैं।
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हनुमान अवतार की जरूरत
राम रूप में जब भगवान विष्णु अवतार ले चुके थे तो महदेव की इच्छा भी हुई कि वो राम के बाल रूप का दर्शन करें। धरती पर जाकर राम की बाल लीला को देखें। लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका। कारण मां पार्वती थी। उन्होंने भोलेदानी की इच्छा जान आदिदेव से कहा कि अगर आप धरती पर निवास करेंगे तो मैं आपके बिना यहां जीवित नहीं रह पाउंगी। तब माता अंजनी को मिले पुत्र रूप में शिव प्राप्ति के वरदान को फलिभूत करते हुए भोले शंकर ने हनुमान रूप में धरती पर जन्म लिया।
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हनुमान की बाल लीला भी कम रोचक नहीं रही। शिवांश होने का प्रभाव हनुमान पर बालपन से ही दिख रहा था। तेज और बल इतना कि बचपन में ही सूर्य को निगल कर कुछ समय के लिए ब्रहमांड को अंधाकारमय कर दिया था।
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चिरंजीवि हैं हनुमान
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हनुमान को माता सीता ने अमरता का वरदान दिया था तो भगवान राम ने चिरंजीव होने का। यही कारण है कि सनातन में आज भी माना जाता है कि हनुमानजी इसी धरती पर कहीं न कहीं जीवित और विराजमान हैं। शायद इसीलिए कलियुग का प्रत्यक्ष देवता उन्हें ही कहा जाता है। रामायण और रामचरित मानस जैसे ग्रंथों में तो हनुमान महिमा की विस्तार से चर्चा मिलती है। रामरूप विष्णु की सेवा और भक्ति के अदभूत मिशाल हैं हनुमान रूप में शिव। हनुमान जी ने राम नाम की महिमा को प्रस्थापित किया। लंका विजय और राम सीता के पुनर्मिलन में हनुमानजी की भूमिका को कैसे भुलाया जा सकता है। तभी तो जन जन में में महाबली हनुमान बसे हैं।
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