हाजीपुर,संवाददाता। नवजात शिशु व मातृ देखभाल की गुणवत्ता बढ़ाने को लेकर हेल्थ जागरूकता अभियान के तहत फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता के माध्यम से सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का आयोजन हाजीपुर के डायना होटल में किया गया।
मान्यता FOGSI की गुणवत्ता सुधार और प्रमाणन पहल है, जो गुणवत्ता के एक स्टाम्प के रूप में कार्य करती है, जो बच्चे के जन्म के दौरान और बाद में माताओं के लिए लगातार, सुरक्षित और सम्मानजनक देखभाल सुनिश्चित करती है। देश के 35,000 से अधिक अभ्यास प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञों का प्रतिनिधित्व करने वाले फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता के माध्यम से नवजात शिशु व मातृ देखभाल देखभाल की गुणवत्ता बढ़ाने का अभियान चलाया जा रहा है।
यह सेमिनार मान्यता की बिहार प्रमुख प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अलका पाण्डेय एवं डॉ उषा डिडवानिया,डॉ सुचिता चौधरी के सौजन्य से आयोजित किया गया।
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सेमिनार में बताया गया कि 2018-20 के लिए जारी एसआरएस विशेष बुलेटिन के अनुसार, बिहार में 118 प्रति लाख जीवित जन्मों का एमएमआर है, जो राष्ट्रीय औसत 97 से अधिक है। यह माताओं की देखभाल के मानकों को बढ़ाने और बिहार को एक सुरक्षित स्थान बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। प्रसव के लिए वर्तमान में बिहार में 60 प्रसूति केंद्रों ने मान्यता के लिए पंजीकरण कराया है, जो 300 से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को कौशल प्रदान करेगा, जिससे राज्य में हर साल लगभग 7000 महिलाओं के लिए सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित होगा।
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डॉ अलका पाण्डेय के अनुसार मान्यता FOGSI की गुणवत्ता सुधार और प्रमाणन पहल है, जो गुणवत्ता के एक स्टाम्प के रूप में कार्य करती है, जो बच्चे के जन्म के दौरान और बाद में माताओं के लिए लगातार, सुरक्षित और सम्मानजनक देखभाल सुनिश्चित करती है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों के आधार पर मातृ स्वास्थ्य में प्रसव पूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल के लिए साक्ष्य-आधारित नैदानिक मानकों को अपनाने को बढ़ावा देता है।उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाली मातृत्व स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करके हम अपने समुदाय में मातृ स्वास्थ्य परिणामों पर सकारात्मक प्रभाव की गारंटी देने में सक्षम होंगे।