पटना,संवाददाता। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री Ashwini Kumar Choubey ने कहा है कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण केवल एक व्यक्ति नहीं, अपितु विचार है।उनका सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन कभी मिट नहीं सकता।
Ashwini Kumar Choubey महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के संस्कृति विद्यापीठ की ओर से सम्पूर्ण क्रांति दिवस पर पांच जून 2021 को ‘सम्पूर्ण क्रांतिः प्रयोजन और प्रासंगिकता’ विषय पर तरंगाधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
संपूर्ण क्रांति आंदोलन के योद्धा रहे Ashwini Kumar Choubey ने कहा कि भले ही 5 जून 1974 को पटना के गांधी मैदान में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का शंखनाद किया था।परंतु उसकी पृष्ठभूमि सन 1972-73 में ही तैयार हुई थी। जिसमें जयप्रकाश नारायण को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने छात्रों के बीच लाने का कार्य किया था।श्री चौबे ने कहा कि संपूर्ण क्रांति के ऐतिहासिक आंदोलन ने परिवर्तन और नव निर्माण की चेष्टा की।
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अपने आंदोलन के लिए Ashwini Kumar Choubey ने 18 सुत्री मांगपत्र घोषित किया था।उनका आंदोलन सार्थक और समीचीन है और यह हमेशा गतिमान रहेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने अंतरजातीय और अंतरधर्मीय विवाह को बढ़ावा दिया।उनके विचार क्रांति की चिंगारी है और यह आज भी प्रासंगिक हैं।
सारस्वत अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तथा राज्यसभा के सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि संपूर्ण क्रांति के बहाने जयप्रकाश नारायण ने सामाजिक,आर्थिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक दृष्टि से व्यवस्था परिवर्तन का विचार दिया था।आज उनके विचारों के नक्शे कदम पर सरकार काम कर रही हैं। संपूर्ण क्रांति से जयप्रकाश नारायण ने समाज परिवर्तन का सूत्र दिया और नींव भी डाली।
अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि संपूर्ण क्रांति निरंतर चलने वाला कार्यक्रम है।एक प्रकार से यह सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक क्रांति है। यह आंदोलन सबको साथ लेकर चलने वाला था और क्रांति का यह चक्र बदस्तूर गतिमान है।
कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. कृपाशंकर चौबे ने दिया तथा विषय प्रवर्तन शिक्षा एवं विधि विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. मनोज कुमार ने किया। कार्यक्रम का संचालन संस्कृति विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने किया तथा साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अवधेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।