मार्च 2024 में आईएएस (1989बैच) डा.विवेक कुमार सिंह Dr. Vivek Kumar Singh को बिहार रेरा ( Bihar RERA ) के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली। इतने कम समय में ही विवेक कुमार सिंह के नेतृत्व में बिहार रेरा के कई इनिसियेटिव की देशभर में चर्चा होने लगी है। बिहार रेरा की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और पारदर्शी है। बिहार रेरा कंपनियों और प्रमोटरों के लिए अलग अलग क्यूआर कोड QR Code और उनकी रैंकिंग जारी करता हैं। यहां कंपनियों और प्रोजेक्ट की ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नम्बर और एप्रुवल सूची जारी की जाती है। रेरा की कार्यशैली और ग्राहक हित में प्रचार प्रसार के व्यापक तरीके अपनाये जा रहे हैं।
रेरा क्या है ?
–रेरा (रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी) एक सरकारी संस्थान है। इसकी स्थापना रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट) अधिनियम, 2016 के तहत की गई थी। इसका उद्देश्य रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित (रेग्युलेट) करना, उसकी निगरानी करना और घर खरीदारों की समस्याओं का समाधान करना है। घर और प्लॉट के खरीदारों के हित में रेरा काम करता है। खासकर जो खरीददार कंपनियों और एजेंट्स के झांसे में फंस कर अपना पैसा फंसा लेते हैं या इस तरह के फ्रॉड या नाइंसाफी के शिकार हो जाते हैं। रेरा अपने अधिनियम के अनुसार उनकी मदद करता है।
रेरा से आम इंवेस्टर को कैसे लाभ मिल सकता है ?
-रेरा होम वायर्स के हित में बिल्डरों और एजेंटों पर निगरानी रखता है। सही और विश्वसनीय प्रोजेक्ट्स को एप्रुवल देता है,जिससे निवशकों का निवेश सुरक्षित रह सके। रियल स्टेट इंडस्ट्रीज को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने में रेरा की महती भूमिका है। बिहार में रेरा यह सुनिश्चित कर रहा है कि निवेशकों के निवेश की कम से कम 70प्रतिशत राशि तय प्रोजेक्ट में ही खर्च किये जाएं। रेरा प्रत्येक तीन महीने पर इसकी समीक्षा भी करता है।
रेरा तक कैसे पहुंच सकता है आम इंवेस्टर?
Bihar RERA की ओर से मकान या जमीन खरीददारों के लिए कई तरह की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसके तहत ऑनलाइन कंप्लेन करने की सुविधा है। पीड़ित निवेशक ऑनलाइन परिवाद या केस फाइल कर सकता है। रेरा इस पर कार्रवाई करते हुए आरोपी कंपनी ,बिल्डर,या एजेंट को नोटिश जारी करता है। फिर सुनवाई करता है और न्याय संगत निर्णय लिया जाता है। इसके तहत निवेशकों के लिए उनका निवेश ,उनकी संपति या उनका कंपनसेशन सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है।ऑनलाइन कंप्लेन के अलावा बिहार रेरा की टीम पीड़ितों से सोमवार से शुक्रवार तक रेरा कार्यालय में सीधे आमने सामने संवाद भी करता है। उन्हें सही सलाह और मार्गदर्शन भी देता है। हां,समस्या जानने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया जरूर अपनाई जाती है। ताकि उनका निदान तलाश कर उन्हें दफ्तर बुलाकर बताया जा सके।
रेरा तक कंप्लेन पहुंचा कर क्या पीड़ित इंवेस्टर निश्चिंत हो सकता है ,उसका धन वापस हो सकता है?
–नहीं,ऐसा बिल्कुल नहीं है। एकदम से निश्चिंतता की बात नहीं की जा सकती है। कारण भी है। रेरा भी खास अधिनियम से बंधा है। नैसर्गिक न्याय हमारी प्राथमिकता है। हम इसका अनुपालन भी करते हैं। हम दोनों पक्षों की सुनते हैं। पहले तो मामले को सुलझाने की कोशिश करते हैं। फिर जरूरत पड़ने पर विधि सम्मत तरीका अपनाते हैं। निलाम परिवाद के माध्यम से पैसा वापस दिलाने की कोशिश करते हैं। इसमेंं समय लगता है। लेकिन न्याय का यह कारगर तरीका है।
हां, इसमें समय लगता है इसलिए त्वरित और वैकल्पिक प्रक्रिया पर भी रेरा अब विचार कर रहा है।
क्या रेरा फ्रॉड करने वाली कंपनियों या एजेंटों पर पर सीधी कार्रवाई कर सकता है और उसे सजा दे सकता है?
–बिलकुल करता है। रेेरा अधिनियम के धारा 03 के तहत पहले तो रजिस्ट्रेशन करता है। जरूरत पड़ने पर धारा 59के तहत कार्रवाई भी करता है। क्रिमिनल केस, पैनल्टी, वारंट और जरूरत के अनुसार जेल तक की सजा सुनाता है।
अगर फ्रॉड करने वाली कंपनी ताला बंद कर भाग चुकी है तो भी क्या रेरा पीड़ितों की मदद कर सकता है?
-हां, बिल्कुल। उस कंपनी को नोटिस भेजकर बुलाने का अधिकार रेरा के पास है। नहीं आने पर वारंट इश्यू किया जाता है और जरूरत पड़ने पर जेल की सजा भी दी जा सकती है।
आम आदमी कैसे पता कर पाए कि प्रोजेक्ट रेरा एप्रुव्ड है या नहीं?
–कोई भी प्रोजेक्ट शुरु करने के पहले कंपनी को रेरा से एप्रुवल लेना पड़ता है। रेरा उसको अपना रजिस्ट्रेशन नम्बर देता है। एक खास क्यू आर कोड देता है जिसे स्कैन कर कोई भी व्यक्ति उस प्रोजेक्ट के बारे में सारी जानकारी प्राप्त कर सकता है। इसके अतिरिक्त रेरा अपने साइट पर सभी एप्रुव्ड प्रोजेक्ट की सूची जारी करता है। इतना ही नहीं परफार्मेंस के आधार पर रेरा प्रमोटर और कंपनी की रैंकिंग भी जारी करता है। इस रैकिंग को हर तीन महीने पर अपडेट भी किया जाता है। जरूरत पड़ने और मानक पूरा न करने वाले कंपनियों या प्रमोटरों का एप्रुवल कैंसिल भी किया जाता है। प्रमोटर के लिए भी अलग से क्यू आर कोड-बीपीक्यू दिया जाता है। कोई भी व्यक्ति रेरा के साइट पर जाकर इसे देख सकता है औ जान सकता है कि किस कंपनी और किस प्रमोटर की क्या स्थिति है। दरअसल बिहार रेरा पूरी तरह पारदर्शिता के साथ काम करता है।
क्या रेरा में आकर कोई व्यक्ति किसी प्रोजक्ट की विश्वसनीयता पता कर सकता है ?
-हां, जरूर। उस कंपनी और कंपनी के प्रमोटर का क्यूआरकोड -बीआरक्यू और बीपीक्यू देख कर उसे इसका पता लग सकता है। इस कोड को स्कैन कर देखने से कंपनी और प्रमोटर के बारे सारे डिटेल्स मिल जाते हैं।
रेरा जैसे सशक्त बॉडी के होते हुए भी कैसे फ्रॉड कर जाती है कंपनियां?
–अधिकांश लोग 2017 के पहले इसमें फंस चुके है। 2017 के बाद लोग सतर्क हुए हैं। जो अभी भी जागरूक नहीं हैं, डिजीटलाइडज्ड नहीं हैं उन्हें ही अब ऐसी फ्रॉड कंपनियां अपना शिकार बनाती हैं। कम कीमत का लालच देकर ईएमआई का ऑफर देकर सीधे और सरल लोगों को अपने झांसे में लेती है और फिर उनके साथ फ्रॉड करती है।
फ्रॉड से बचने के लिए इंवेस्टर को कोई सलाह या मश्वरा देंगे आप ?
–निवेशकों के लिए सबसे जरूरी है एलर्ट रहना। Bihar RERA का साइट को देखकर यह जानना कि कौन सा प्रोजेक्ट और कौन सा प्रमोटर सही है। किसी तरह के छलावे, झांसे, या लालच में नहीं आना और रेरा के एप्रुवल लिस्ट के आधार पर निवेश के लिए कंपनी तय करना।
Read also जद यू के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए जाने पर देश भर के जीकेसियनों ने राजीव रंजन को दी बधाई और शुभकामनाएं
लेकिन कई बार एप्रुवल के बाद भी कंपनियों को डिस्क्वालीफाई कर दिया जाता है और बाद में उसे एप्रुवल लिस्ट से बाहर कर दिया जाता है। ऐसे में नवेशक क्या करें
–जो कंपनी रेरा के मानक के अनुसार सही काम नहीं करती है, उसे Bihar RERA रिवोक करता है, लेकिन साथ में निवेशकों को विकल्प भी देता है। एक विकल्प तो यह भी है कि एलॉटी खुद का एसोसिएशन बना कर बचा हुआ निर्माण खुद से पूरा करे। ऐसा संभव नहीं होने पर नगर विकास विभाग द्वारा निर्माण पूरा कराने का विकल्प भी है। कंपनशेसन का विकल्प भी है या उसकी जगह कंपनी की दूसरी संपति अगर है तो उसको भी उपलब्ध कराने का विकल्प है।
8 Replies to “Bihar RERA जारी करता है कंपनियों और प्रमोटर का QR Code- डा. विवेक कुमार सिंह”