पटना, संवाददाता। राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने इफ्तार पर अनर्गल बयानबाजी करने वाले भाजपा नेताओं को चश्मा बदलने की सलाह दी है। सार्थक राजनीतिक भूमिका में मिल रही नाकामी से परेशान भाजपा के लिए धार्मिक और सामाजिक आयोजन को भी राजनीतिक चश्मे से देखना राज्य और समाज के लिए घातक साबित होगा। महंगाई, बेरोजगारी, सुरक्षा और अडानी प्रकरण जैसे गंभीर मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए नकारात्मक राजनीति करना भाजपा की चारित्रिक पहचान बन चुकी है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि जो लोग समाज में नफ़रत, घृणा और उन्माद पैदा कर धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति करते हैं, वे लोग ही इफ्तार पर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। जबकि इफ्तार साम्प्रदायिक सद्भाव और सामाजिक सौहार्द्र के साथ ही सामाजिक न्याय का भी संदेश देता है। काफी पहले से यह परम्परा चली आ रही है कि इफ्तार में रोजदारों के साथ सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग शामिल होते रहे हैं। पूर्व में भाजपा के नेता भी ऐसे आयोजन में शामिल होते रहे हैं। कल भी केन्द्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर नई दिल्ली स्थित अरब दूतावास द्वारा आयोजित इफ्तार में शामिल हुए हैं।
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राजद प्रवक्ता ने कहा कि संविधान की शपथ लेकर संवैधानिक पद पर बैठे हुए नेता प्रतिपक्ष द्वारा एक धर्म विशेष के खिलाफ दिया जा रहा बयान संवैधानिक मर्यादाओं के खिलाफ है। क्योंकि भारतीय संविधान के प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि “भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है”। इसलिए नेता प्रतिपक्ष को किसी धर्म विशेष के पक्ष या विपक्ष में बयान देने के पहले उन्हें नेता पद के साथ ही विधानमंडल की सदस्यता से इस्तीफा दे देना चाहिए। अथवा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव से सिख लेनी चाहिए जो सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। और उनके धार्मिक आयोजनों में शामिल होते हैं। अभी रामनवमी के दिन शोभायात्रा में तो नीतीश जी के साथ दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष खुद उपस्थित थे। इसके बावजूद भी यदि उन्हें दिखाई नहीं दे रहा है तो निश्चित रूप से उन्हें अपना चश्मा बदलवा लेना चाहिए।